राजस्थान और भारत के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों में शामिल हवा महल के बारे में कुछ रोचक जानकारी चाहते हैं तो यहां आपको पूरा जानकारी मिलेगी।
हवा महल का इतिहास बेहद दिलचस्प है। कहा जाता है कि इसका निर्माण राजस्थान के झुंझुनू शहर में मौजूद खेतड़ी महल के तर्ज पर किया गया था, जिसे दुनिया आज हवा महल के नाम से जानती है।
अद्भुत और विश्व प्रसिद्ध हवा महल एक या दो नहीं बल्कि पांच मंजिला इमारत है। हर मंजिल की अपनी ही खासियत है। इसलिए इसे भगवान श्रीकृष्ण का मुकुट भी कहा जाता है।
हवा महल एक ऐसी अनूठी अद्भुत इमारत है जिसमें मुगल और राजपूत शैली स्थापत्य को बहुत करीब से देखा जा सकता है। कहा जाता है कि पांच मंजिला पिरामिडनुमा महल के वास्तुकार लाल चंद उस्ताद थे।
कहा जाता है कि हवा महल का नाम यहां की 5वीं मंजिल के नाम पर रखा है, क्योंकि 5वीं मंजिल को हवा मंदिर के नाम से जाना जाता था। इसलिए इसका नाम भी हवा महल रख गया।
कहा जाता है कि साल साल 2006 में पूरे हवा महल का रेनोवेशन किया गया था। हवा महल की एंट्री फीस भारतीयों के लिए 50 रुपए और विदेशियों के लिए 200 रूपए है।
अभी तक इस महल को आप हवा महल के नाम से ही जानते होंगे, लेकिन आपको बता दें कि इस अद्भुत और विश्व प्रसिद्ध महल को 'पैलेस ऑफ विंड्स और जयपुर का ताज भी कहा जाता है।
इस अद्भुत हवा महल में 100 या 200 खिड़कियां नहीं बल्कि लगभग 953 खिड़कियां हैं। इन खिड़कियों का निर्माण महिलाओं के लिए किया गया ताकि बाहरी नजारा देख सकें।
हवा महल का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह के पोते सवाई प्रताप सिंह ने साल 1799 में कराया था। कहा जाता है कि यह रॉयल सिटी पैलेस के विस्तार के रूप में बनाया गया था।