पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना एक चिंताजनक समस्या हो सकती है। ब्लीडिंग में जरूरत से ज्यादा ब्लीडिंग को मेडिकल की भाषा में मेनोरेजिया कहा जाता है।
मेनोरेजिया लक्षण
कई मामलों में पीरियड्स में ज्यादा ब्लड निकलने के मूल कारणों की जानकारी नहीं होती है, लेकिन यह जानना बेहतर होगा कि यह इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (आईटीपी) नामक समस्या का एक संकेत हो सकता है।
आईटीपी की पहचान
किसी महिला को कुछ समय से पीरियड्स के दौरान असामान्य रूप से ब्लीडिंग हो रही हो तो यह सलाह दी जाती है कि ब्लड टेस्ट कराएं। आमतौर पर कम्प्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) जरूर कराएं।
ज्यादा ब्लीडिंग
आईटीपी एक ब्लड डिसऑर्डर है, जहां इम्यून सिस्टम किसी के प्लेटलेट्स पर हमला करता है और उन्हें नष्ट कर देता है। इसलिए, इसे लो प्लेटलेट काउंट के रूप में जाना जाता है जिससे काफी ज्यादा ब्लीडिंग होती है।
आईटीपी को कैसे मैनेज करें ?
आईटीपी एक जानलेवा बीमारी नहीं है और इसे दवाओं की मदद से आसानी से ठीक किया जा सकता है। उपचार की अवधि आपके प्लेटलेट काउंट और ब्लीडिंग / पीरियड्स की ब्लीडिंग पर निर्भर करता है।
बनाएं मेंस्ट्रुअल डायरी
अत्यधिक ब्लीडिंग के मूल कारणों को जानने के लिये महिलाओं को एक मेंस्ट्रुअल डायरी बनानी चाहिए। जिसमें उनके पीरियड्स, फ्लो, वो दिन जब ज्यादा ब्लीडिंग हुई हो और कितने दिनों में ब्लीडिंग खत्म हुई, उसका विवरण लिखें।
ध्यान रखें
बार-बार ब्लड टेस्ट ना कराएं। ऐसा देखा गया है कि कई रोगी अपने प्लेटलेट काउंट पर नजर रखने के लिए लगातार ब्लड टेस्ट कराते रहते हैं। इससे केवल उनकी बेचैनी बढ़ती है।
डॉक्टर से लें सलाह
बल्ड टेस्ट कराने से पहले डॉक्टर की सलाह लें। इसके अलावा नियमित रूप से दवाएं लेना इस समस्या के प्रबंधन के लिये बेहद अहम है और उपचार के चक्र को तोड़ा नहीं जाना चाहिए।
तो ये थे हैवी पीरियड्स के कारण। स्टोरी अच्छी लगी हो तो लाइक और शेयर करें। इस तरह की अन्य जानकारी के लिए क्लिक करें moodylines.com पर।