जाने ताजमहल को क्यों कहा जाता है दुनिया का अजूबा ?
दुनिया के 7 अजूबों में एक ताजमहल की खूबसूरती भी शामिल है, लेकिन क्या आप जानते हैं इसे अजूबों में क्यों गिना जाता है? चलिए जानते हैं इसके पीछे की वजह -
अनोखी वास्तुकला
इसे बनाने के लिए एक खास तरह की लकड़ी का प्रयोग किया गया था। ताजमहल को इंडो-इस्लामिक कब्रगाह वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरण में गिना जाता है।
सात अजूबों में शामिल
ताजमहल जैसी किसी दूसरी इमारत का निर्माण दुनियाभर में कहीं नहीं हो पाया है। यही वजह है की ताज को दुनिया के सात अजूबों में गिना जाता है।
ताजमहल का निर्माण
साल 1632 में ताजमहल बनने की शुरुआत हुई थी, जिसे तैयार करने में लगभग 22 साल का समय लग गया था। साल 1648 में इसका निर्माण पूरा हुआ।
प्यार की निशानी
ताजमहल आगरा में स्थित है। इसे मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था, जिसे 'प्यार की निशानी' भी कहा जाता है।
कई देशों से सामान
कहा जाता है कि ताजमहल तैयार करने के लिए 8 अगल देशों से कई प्रकार की चीजों का मंगवाया गया था। ऐसे में यह फारसी, तुर्क, भारतीय व इस्लामी आर्किटेक्चर का एक अनोखा रूप बन गया।
हजारों मजदूरों ने किया निर्माण
जानकारी के मुताबिक, ताजमहल को उस्ताद अहमद लाहौरी ने डिजाइन किया था। कहा जाता है कि इसका निर्माण 20 हजार मजदूरों ने मिलकर किया था।
7 अजूबों में हुआ शामिल
ताजमहल को साल 2007 में दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया था। वहीं, 1983 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर की श्रेणी में नामित किया था।
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ताजमहल की खूबसूरती को देखने दुनियाभर से लोग यहां आते हैं। स्टोरी अच्छी लगी हो, तो लाइक और शेयर करें। इस तरह की अन्य जानकारी के लिए यहां क्लिक करें