उन पैरों को सदा सलामत रखना ऐ महाकाल, जिनके बलबूते पर अभी तक खड़ा हुँ

काल भी तुम महाकाल भी तुम, लोक भी तुम त्रिलोक भी तुम, शिव भी तुम और सत्य भी तुम

यह कैसी घटा छाई हैं, हवा में नई सुर्खी आई है, फैली है जो सुगंध हवा में, जरुर महादेव ने चिलम लगाई है

बजाते हैं डमरू भस्म से होता हैं शृंगार, इतने अद्भुत ढंग से सजते हैं महादेव मेरे 

चलना भी है भागना भी है, महादेव को पाने के लिये, सोते हुए जागना भी है, जय महाँकाल, हर हर महादे !

अकेले ही वो पूरी दुनिया में, चिता की भस्म से नहाते है, ऐसे ही नहीं वो कालो के काल महाकाल कहलाते हैं !

गरीब को किया दान और मुंह से निकला, महादेव का नाम कभी व्यर्थ नही जाता !

लोग बेताब थे मिलने को मंदिर के पूजारी से, हम दुआ लेकर आ गये बाहर बैठे भिखारी से हर हर महादेव !

जिनके रोम-रोम में शिव हैं, वही विष पिया करते हैं, जमाना उन्हें क्या जलाएगा, जो श्रृंगार ही अंगार से किया करते हैं !