जिंदगी
गुजर
रही है, इम्तिहानों के दौर से, एक
ज़ख्म
भरता नही, और
दूसरा
आने की जिद करता है।
ऐसा भी क्या
जीना
मेरा, की
पल
पल तड़पती हूं मैं, किसी की याद में किसी के
इंतजार
में, रोज़ जीती रोज़ मरती हूं मैं
नजरों
से देखो तो आबाद हैं हम, दिल से देखो तो बर्बाद हैं हम, जीवन का हर
लम्हा
दर्द से भर गया है, फिर कैसे कह दें आज़ाद हैं
हम
।
जिंदगी से
शिकवा
नहीं कि उसने गम का आदी बना दिया, गिला तो उनसे है जिन्होंने
रोशनी
की उम्मीद दिखा के
दिया
ही बुझा दिया।
चले
जायेंगे
एक दिन तुझे तेरे हाल पर
छोड़कर
, कदर क्या होती है, ये तुझे
वक्त
बताएगा।
जिंदगी की
तलाश
में मौत की राह चलते गए,
समझ
आया जब तक, तब तक तन्हाइयों में
डूबते
चले गए।
मेरी
चाहत
ने उसे खुशी दे दी, बदले में उसने मुझे खामोशी दे दी,
खुदा
से दुआ मांगी मरने की तो, उसने भी तड़पने के लिए
जिंदगी
दे दी।
मैंने कहा
रंगो
से इश्क़ है मुझे, फिर
जमाने
ने हर रंग दिखाया
मुझे
।
इश्क़
खुदकुशी का धंधा है, “अपनी ही लाश अपना ही
कंधा
है”
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