कौन कहता है कि आंसुओं में वजन नहीं होता, जब छलक जाते हैं तो मन हल्का हो जाता है

हालातों से लड़ती जिए जा रही हूँ मैं, जहर जिंदगी का पिए जा रही हूँ मैं

जब दर्द हद से गुजर जाता है, तब आंसू भी ताकत बन जाते हैं

बेपरवाह सी थी ज़िन्दगी, न जानते थे दुःख क्या चीज़ है, इश्क किया तब जाकर समझे, इश्क क्या चीज़ है

इस ज़िन्दगी में दर्द बहुत है, अब तो समझ नहीं आ रहा की इस ज़िन्दगी में दर्द हैं या दर्द में मेरी ज़िन्दगी है

अब आदत सी हो गई है ऐसे जीने की, तुम दर्द देते रहोगे, और हम मुस्कुराते रहेंगे

ज़िन्दगी हर हाल में हमने जीना सीख लिया, अपने जख्मों को छुपाने का हुनर सीख लिया

कभी कभी हाथ छुड़ाने की ज़रूरत नहीं होती, कुछ लोग तो साथ रह कर भी बिछड़ जाते है

ऐसा खेल खेला है नसीब ने मेरे, न कोई आँसू है आँख में और न ही हंसी है चेहरे पर